जलता रहा में दीप सा ,
आगमन को प्रभु राम के ,
काया दिया, बाती ये जीवन ,
साँसें हैं मनके नाम के ।।
राम बस जीवन में उतरें,
हर कर्म मर्यादित रहे ,
भक्ति हनुमत सी मिले ,
ये हृदय आह्लादित रहे ।।
राम से मेरी सुबह हो ,
राम से ही हर शाम हो ,
जीवन सफर जब ये थमे,
राम, जिव्हा पर नाम हो ।।
राम ने त्यागे थे वैभव ,
जो वचन का मान हो ,
मुझ को भी निज कर्त्तव्य का ,
हरदम ही ऐसा भान हो ।।
राम मेरी चेतना हैं ,
राम ही आदर्श हैं ,
राम भूमि पर प्रणेता ,
राम ही नभ स्पर्श हैं ।।
राम ही में रम रहा मन ,
राम भक्त मैं प्रथम रहूँ ,
प्रार्थना प्रभु राम से ये ,
मैं राममय हरदम रहूँ ।
प्रार्थना प्रभु राम से ये ,
मैं राममय हरदम रहूँ ।।
@dineshkpaliwal