गीत
रस्ता देखूं दशरथ नंदन
सिय राम लखन अभिनंदन।
राम राम मैं गाता जाऊं
मन मन में मुस्काता जाऊं।
राह में तेरे फूल बिछाऊं
राह से शूल हटाता जाऊं।।
राम राम का करूं मैं वंदन
सिय राम लखन अभिनंदन।
दर्शन पाकर धन्य हुआ
झुककर चरणों को छुआ
अंतर्मन गदगद ही होता
रोम रोम पुलकित हुआ।
कृपा करना ही रघुनंदन।
सिय राम लखन अभिनंदन।
जब जब भटके मेरी नैया
प्रभु बन जाना मेरा खिवैया।
किरपा इतनी करना राम जी
रख लो मुझको अपने पैया।
राम राम माथे का चंदन।
सिय राम लखन अभिनंदन।
रस्ता देखूं दशरथ नंदन।
सिय राम लखन अभिनंदन।।
डॉ भावना शुक्ल 🙏