‘राम’
अवधनरेश हे प्रभु राम ,
दशरथनन्दन राघव राम!
कौशल्यासुत राजा राम,
सबके हो परमेश्वर राम।
ऋषियों की रक्षा करने को,
दुखियों के कष्ट मिटाने को!
संस्कृति के रक्षण-पोषण को,
जनता के हित-चिन्तन को।
तुमने अवध में जन्म लिया,
भरत-भूमि को धन्य किया!
दुष्टों का संहार किया,
स्वप्नों को साकार किया।
तुम्हें पाकर हम धन्य हुये,
पुण्य हमारे उदय हुये !
धर्मध्वजा फहराये तुम,
पुरुषोत्तम कहलाये तुम।
शत-शत नमन हे राम तुम्हें,
अग-जग के वन्दन राम तुम्हें!
फिर-फिर आना होगा तुमको,
पुकारे जब हे राम ! तुम्हें।
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
उमा घिल्डियाल, भूतपूर्व प्रवक्ता।