राम जी आना पड़ेगा
फिर से आओ राम धरा पर , अवधपुरी में ले अवतार।
नारी की असमत लूटन को, रावण जन्म लिए हैं हजार।
लाज बचाए कौन सिया अब ,बिकती देखो बीच बाजार।
घर-घर में रावण बैठे हैं , नहीं सुरक्षित अबला नार।।
आओ राम कृपा कर दो ,अन्याय नहीं मुझको स्वीकार।
केवल काम चले न धनुष से , ले आना बरछी तलवार।
देकर अपने दुर्लभ दर्शन , करो अधम का तुम संघार।
हमसब मिल फिर राम जपेंगे होगी जग में जय जयकार।
सरिता सिंह