राम सिया के जैसे अब न जग में नर नार है,
समस्त जगत को रचने वाले,वही पालन हार है।
असुरों की पहचान कठिन है,अब मानव के बीच,
मानव हृदय में भरा हुआ है,ना जाने कितना कीच।
भरा हुआ मारीच से अब ये सारा जग संसार है ,
राम सिया के जैसे अब ना जग में नर नार है ।
समस्त जगत को रचने वाले,वही पालन हार है।
आज सभी को भरमाती नारी की कंचन काया,
जब खुद ही उसने हटा दिया अपने आंचल का साया,
कलयुग का होने वाला अब लगता बंटाधार है ,
राम सिया के जैसे अब ना जग में नर नार है
समस्त जगत को रचने वाले,वही पालन हार है।
राम आएंगे करें प्रतीक्षा रत , हैं जन जन के वासी,
मन के अंदर राम बसे हैं , सुन कलयुग के निवासी
ज्ञान चक्षु को खोलके देखो , राम से ही संसार है,
राम सिया के जैसे अब ना , जग में नर नार है
समस्त जगत को रचने वाले,वही पालन हार है,
संगीता वर्मा