श्री राम
कथा है यह श्री राम की,
मर्यादा पुरुषोत्तम धाम की ।
दशरथ के राज दुलारे ,
कौशल्या के राम की।
धनुष तोड़ा शिव का,
सिया को संगिनी बनाया ।
त्याग दिया राजपाट को,
पिता का वचन निभाया।
धनुषधारी श्री राम ने ,
माता का सम्मान बढ़ाया ।
राक्षसों का कर संहार,
ऋषियों का मान बढ़ाया ।
भीलनी के चखकर बेर,
उसका सम्मान बढ़ाया।
भातृप्रेम का दिया उदाहरण,
जग में नाम कराया।
शिला का करके उद्धार,
अहिल्या को मानवरूप दिलाया।
सन्यासी बनकर, धनुष बाण से
सिया को मुक्त कराया।
हनुमान को बनाकर रक्षक,
रावण का वंश मिटाया ।
कथा है यह श्री राम की ,
मर्यादा पुरुषोत्तम धाम की।
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रेखा मित्तल, स्वरचित
1183/43B
चंडीगढ़
Mob 987163285