रामजी का नाम भजो, राम राम राम जपो।
राम की कृपा से सारे, काम बन जाएँगे।।
वाणी दृष्टि में हैं राम, स्वर गंध में हैं राम।
रोम-रोम मेरे नित, राम जी को ध्याएँगे।।
राम एक-एक श्वास, राम से है हर आस।
राम मय हो के सदा, राम धुन गाएँगे।।
मेरे आदि अंत राम, यूँ तो हैं अनंत राम।
राम ही सनातन हैं, शीश पे सजाएँगे।।
2.)
सिया संग साजे राम, मन में विराजे राम।
हनुमंत सीना चीर, सबको दिखाते हैं।।
वेद में पुराण में हैं, तुलसी बखान में हैं।
मानस की रचना में, राम पूजे जाते हैं।।
रूप राम रंग राम, अंग अंग अंग राम।
जीवन का ढंग राम, सब को सिखाते हैं।।
हर पल राम नाम, भजे मन अविराम।
राम भवसागर को, पार करवाते हैं।।
रीता ‘अदा’