श्री राम भक्त श्री हनुमान
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अंजनि पुत्र पवनसुत हैं वो रामायण के प्रमुख पात्र ,
दोस्ती ख़ूब निभाई आपने रामचन्द्र जी के सुमित्र, सुपात्र।
आपने ही तो रामचंद्र को वीर सुग्रीव से मिलवाया,
शक्ति लगी जब लक्ष्मण जी को राम जी का दिल भर आया। पर
वैद्यराज ने हिमालय पर्वत से संजीवनी की जरूरत बतलाई,
सूर्योदय से पहले दवा देनी होगी यह शर्त भी बतलाई।
संजीवनी ला कर बजरंगी ने ही तो नव जीवन दान दिया,
गरुड़ संग जा कर महासागर बिच अहिरावण को ख़त्म किया।
वीर हनुमान ने राम लिखाऔर नल-नील ने पत्थर तैराए,
इसी तरह दो योजन सागर पर राम-सेतु बना पाए।
आज भी राम-सेतु का सागर मे अस्तित्व दिखाई देता है,
बहुत कोशिश की हुक्मरानों ने पर न अभी तक टूटा है।
कुशाग्र बुद्धि,दूर गामी सोच के बजरंगी मालिक हैं
कलियुग मे भी हैं उपलब्ध वो अमरत्व के द्योतक हैं।
एक बार श्री शंकर नारद जी आदि गाना गाया था
श्री बजरंगी ने मधुर कंठ से कोमल राग सुनाया था।
श्री राम ने खुश हो हनुमान को अमरत्व का वरदान दिया,
आज भी अपने भक्तों को दर्शन आपने सहर्ष दिया।
भक्ति करते जो श्री हनुमान की मुंह मांगा वर पाते हैं,
बजरंगी भी वर दे कर खुद भी प्रसन्न हो जाते हैं।
तीनो युग में श्री हनुमान सा भक्त राम का कोई नहीं,
कठिन तम काम भी प्रभु राम का सुगमता से करता कोई नहीं।
आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़