मेरे मन में बिराजो आ कर राम
मेरे तन में बिराजो आ कर राम।।
मेरी सेवा तुम स्वीकार करो
मेरी पूजा तुम स्वीकार करो
हृदय में बिराजो आ कर राम।।
तुमने ऐसा संसार रचा
सुख-दु:ख के मेले में उलझा
कण-कण में बिराजो आकर राम।।
पल-पल हर पल तेरा नाम जपूँ
आजीवन नाम तेरा सिमरूँ
साँसों में बिराजो आ कर राम।।
घट-घट के वासी कृपा करो
हे अविनाशी दर्शन सुख दो
नैनों में बिराजो आ कर राम।।
नित भजन करूँ तेरे गुण गाऊँ
सुमिरन से जीवन -धन पाऊँ
अधरों में बिराजो आ कर राम।।
प्राणों का प्राणाधार मिले
धड़कन बन जीवन दान मिले
प्राणों में बिराजो आ कर राम।।
डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘उदार ‘
San Diego,CA,USA